सिटी पैलेस के पास स्थित जंतर मंतर का निर्माण
जयपुर के संस्थापक एवं खगोलशास्त्री महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा अंतरिक्ष और समय की
सही जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य 1724 से 1734 ई. के बीच कराया गया था।
जयपुर में स्थित जंतर मंतर एक ऐतिहासिक स्मारक है जो की भारत की पांच खगोलीय वेधशालाओं
में से सबसे बड़ा है। इसका निर्माण 18वीं सदीं में महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा करवाया
गया है। यह भारत के मुख्य पर्यटकों एवं आकर्षक स्थलों में से भी एक हैंए जिसे अपने
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व की वजह से यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज
साइट में शामिल किया गया है।
जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल
राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा
महल को राज्स्थान की सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। कई झरोखे और खिडकियां
होने के कारण हवा महल को श्पैलेस ऑफ विंड्सश् भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट
जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैंए जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते
हैंए जो राजपूतों की समृद्ध विरासत का अहसास कराते हैं। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों
से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया
में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।
वर्तमान समय में हवा महल देश.विदेश से आए पयर्टकों के लिए एक शानदार स्थलों में से
एक है। बता दें कि महल अब कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों की शूटिंग के लिए भी
एक बढिय़ा शूटिंग पॉइंट बन गया है। आज के आर्टिकल में हम आपको यात्रा कराएंगे जयपुर
के इसी सुंदर हवा महल की। जिसमें आपको हवा महल का इतिहासए इसकी वास्तुकलाए हवा महल
में कितनी खिड़किया है और दिलचस्पों तथ्यों से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
जयपुर में आमेर का किला राजस्थान में सबसे
बड़ा किलों में से एक है और इसकी भव्य वास्तुकला और समृद्ध अतीत के लिए जाना जाता है।
लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर की पूरी तरह से निर्मित महल की भव्यता आगंतुकों को
मंत्रमुग्ध कर देता है जो की चित्रकारी और नक्काशियों कीमती पत्थरों और दर्पण से भरा
पड़ा है ।
जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान के इस विशाल किले का निर्माण
हिन्दू और राजपुताना शैली द्धारा किया गया है। इस किले को बाहर से देखने पर यह मुगल
वास्तुशैली से प्रभावित दिखाई पड़ता हैए जबकि अंदर से यह किला राजपूत स्थापत्य शैली
में बना हुआ है।
यह किला मुगल और हिन्दू वास्तुशैली का नायाब नमूना है। इस किले के अंदर प्राचीन वास्तुशैली
एवं इतिहास के प्रसिद्द एवं साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इस विशाल
किले के अंदर बने ऐतिहासिक महलए उद्यानए जलाशय एवं सुंदर मंदिर इसकी खूबसूरती को दो
गुना कर दते हैं।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित यह नाहरगढ़ किला
अनेकों सुंदर और ऐतिहासिक इमारतों का एक समूह है। यह नाहरगढ़ किला एक अभेद किला के
रूप में भी जाना जाता है। नाहरगढ़ किला को बनाने का श्रेय सवाई राजा जयसिंह द्वितीय
को जाता है।
इस किले की सबसे खास बात यह है कि इसके इतिहास में कभी भी इस पर हमला नहीं हुआ है।
इस नाहरगढ़ किला के बारे में बताया जाता है कि इसे 1857 ईसवी के दौरान हुए सिपाही विद्रोह
में यूरोपीय लोगों को आश्रय देने के लिए भी उपयोग में लाया गया था। इस नाहरगढ़ दुर्ग
में कई फिल्मों की भी शूटिंग हो चुकी है जिसके कारण यह किला लोगों के बीच और भी काफी
प्रसिद्ध हुआ है।
नाहरगढ़ किला के परिसर में एक जैविक उद्यान भी बनाया गया है जो कि तकरीबन 7.2 वर्ग
किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर कई समृद्ध वनस्पतियां देखी जा सकती
हैं। इस जैविक उद्यान को विजिट करने के उपरांत आप यहां पर कई सारे जीव जंतुओं को देख
सकते हैं।
जलमहल राजस्थान की राजधानी जयपुर के मानसागर
झील के मध्य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित
यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण “आई बॉल” भी कहा जाता है। इसे “रोमांटिक महल”
के नाम से भी जाना जाता था। राजपूत राजा सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित यह महल मध्यकालीन
महलों की तरह मेहराबोंए बुर्जोए छतरियों एवं सीढीदार जीनों से युक्त दुमंजिला और वर्गाकार
रूप में निर्मित भवन है। जलमहल अब पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित हो रहा है।
यहाँ की नर्सरी में 1 लाख से अधिक वृक्ष लगे हैं जहाँ राजस्थान के सबसे ऊँचे पेड़ पाए
जाते हैं।
पांच मंजिला इस जल महल की सबसे खास बात ये है कि इसका सिर्फ एक मंजिल ही पानी के ऊपर
दिखता है जबकि बाकी के चार मंजिल पानी के नीचे हैं। यही वजह है कि इस महल में गर्मी
नहीं लगती। इस महल से पहाड़ और झील का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। खासकर चांदनी
रात में तो झील के पानी में स्थित यह महल बेहद ही खूबसूरत लगता है।
राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित अल्बर्ट हॉल
संग्रहालय को राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय के रूप में जाना जाता है।
यह संग्रहालय तकरीबन डेढ़ सौ साल से भी अधिक पौराणिक माना जाता है। यह “भारत-अरबी-शैली”
में बनाई गयी एक बिल्डिंग है।इसकी डिजाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने की थी तथा यह पब्लिक
संग्रहालय के रूप में 1887 में खुला था।
यह संग्रहालय इंडो सरैसेनिक वास्तुशैली का आदर्श प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस
संग्रहालय के गलियारों को अलग अलग प्रकार के सेलिब्रिटी चित्रों के साथ सुशोभित किया
गया है। इस संग्रहालय में जाने के उपरांत आप यहां पर यूरोपीय, चीन, बेबीलोनियन, ग्रीक
और मिश्र सभ्यताओं को चित्रित किया हुआ देख सकते हैं। यहां पर प्राचीन समय के मिट्टी
वाले बर्तन, सिक्का, संगमरमर से बनी कलाकृति के साथ साथ मिश्र की ममी को भी देखा जा
सकता है।